राजस्थान कबीर यात्रा एक सांस्कृतिक उत्सव है, जहाँ लोकगायक, कवि और श्रोता मिलकर कबीर के भजनों और विचारों को साझा करते हैं। यह यात्रा गाँव-गाँव घूमकर संगीत, कविता और संवाद के माध्यम से प्रेम, समानता और सत्य का संदेश फैलाती है।
इस यात्रा में राजस्थान के रेगिस्तानी गाँवों में खुले आसमान के नीचे संगीत सभाएँ होती हैं। लोकवाद्य जैसे कमायचा, ढोलक और खड़ताल की धुनें कबीर के दोहों को जीवंत कर देती हैं, जिससे श्रोता आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
कबीर के दोहे सरल भाषा में गहरे सत्य कहते हैं, जैसे 'माटी कहे कुम्हार से'। यात्रा में कलाकार इन दोहों को गाकर जीवन के मूल्यों—सत्य, प्रेम, और अहिंसा—को सहजता से लोगों तक पहुँचाते हैं।
यह उत्सव केवल संगीत नहीं, बल्कि संवाद का मंच भी है। यहाँ श्रोता और कलाकार जीवन, समाज और आध्यात्मिकता पर खुलकर चर्चा करते हैं, जिससे विचारों का आदान-प्रदान और समझ बढ़ती है।
यात्रा में देश-विदेश से लोग आते हैं, जिससे यह एक सांस्कृतिक संगम बन जाता है। विभिन्न भाषाओं और पृष्ठभूमियों के लोग कबीर के सार्वभौमिक संदेश में एकता पाते हैं।
राजस्थान कबीर यात्रा हमें याद दिलाती है कि संगीत और शब्द सीमाओं को पार कर दिलों को जोड़ सकते हैं। यह परंपरा और आधुनिकता के बीच एक जीवंत पुल है, जो पीढ़ियों तक प्रेरणा देता रहेगा।
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